NSA अजीत डोभालः इंदिरा हों या मोदी सबका जीता दिल, धर्म बदलकर 7 साल रहे पाकिस्तान में*
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल शुक्रवार को म्यांमार सेना ने पूर्वोत्तर के 22 उग्रवादियों को भारत को सौंप दिया। इनमें एनडीएफबी (एस) का स्वयंभू गृह सचिव राजेन दामरे भी शामिल है। अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल खुद इस गुप्त अभियान पर नजर बनाए हुए थे, डोभाल के नेतृत्व में इसे एक अभूतपूर्व कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है जिसमें भारत के पूर्वोत्तर के पड़ोसी देश ने 22 उग्रवादियों को भारत को सौंपा। इससे पता चलता है कि दोनों राष्ट्रों के बीच राजनयिक और सैन्य संबंध मजबूत हो रहे हैं।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब डोभाल ने अपनी कुशलता और क्षमता से देश के दुश्मनों को घुटने पर ला दिया हो। पढ़ाई से लेकर 32 साल के जासूसी करियर तक में उन्होंने एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल की और अपने हैरतअंगेज कारनामों से वे देश के जेम्स बांड कहे जाने लगे।
*🇮🇳🤝डोभाल की उपलब्धियां*
अजीत डोभाल भारत के इकलौते ऐसे नौकरशाह हैं जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। डोभाल कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने जासूसी की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अजीत डोभाल का जन्म 1945 को पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनकी पढ़ाई अजमेर मिलिट्री स्कूल में हुई है। केरल के 1968 बैच के IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए थे।
उन्होंने अपना ज्यादातर समय खुफिया विभाग में जासूसी करके गुजारा है। वह 2005 में आईबी की डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए हैं। उन्होंने अपने पूरे करियर में सिर्फ सात साल ही पुलिस की वर्दी पहनी है। वह मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ भी रह चुके हैं। डोभाल को जासूसी का लगभग 37 साल का अनुभव है। वह 31 मई 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने।
*💫पाकिस्तान और आतंकियों को हर बार दिया चकमा*
आपको जानकर हैरानी होगी कि खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल सात साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बनकर रहे थे। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। अजीत डोभाल रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली।
1999 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजीत डोभाल आतंकियों से निगोसिएशन करने वाले मुख्य अधिकारी थे। जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए कई आतंकियों को सरेंडर कराया। अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस भी रहे। वह 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।